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Thursday, June 13, 2013

आयुर्वेद से एसीडिटी का इलाज








आयुर्वेद से एसीडिटी का इलाज ::

• आंवला चूर्ण को एक महत्वपूर्ण औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। आपको एसीडिटी की शिकायत होने पर सुबह- शाम आंवले का चूर्ण लेना चाहिए।

• अदरक के सेवन से एसीडिटी से निजात मिल सकती हैं, इसके लिए आपको अदरक को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटकर गर्म पानी में उबालना चाहिए और फिर उसका पानी अदरक की चाय भी ले सकते हैं। 

• मुलैठी का चूर्ण या फिर इसका काढ़ा भी आपको एसीडिटी से निजात दिलाएगा इतना ही नहीं गले की जलन भी इस काढ़े से ठीक हो सकती है। 

• नीम की छाल को पीसकर उसका चूर्ण बनाकर पानी से लेने से एसीडिटी से निजात मिलती है। इतना ही नहीं यदि आप चूर्ण का सेवन नहीं करना चाहते तो रात को पानी में नीम की छाल भिगो दें और सुबह इसका पानी पीएं आपको इससे निजात मिलेगी। 

• मुनक्का या गुलकंद के सेवन से भी एसीडिटी से निजात पा सकते हैं, इसके लिए आप मुनक्का को दूध में उबालकर ले सकते हैं या फिर आप गुलकंद के बजाय मुनक्का भी दूध के साथ ले सकते हैं। 

• त्रि‍फला चूर्ण के सेवन से आपको एसीडिटी से छुटकारा मिलेगा, इसके लिए आपको चाहिए कि आप पानी के साथ त्रि‍फला चूर्ण लें या फिर आप दूध के साथ भी त्रि‍फला ले सकते हैं। 

हरड: यह पेट की एसिडिटी और सीने की जलन को ठीक करता है । 

• लहसुन: पेट की सभी बीमारियों के उपचार के लिए लहसून रामबाण का काम करता है। 

• मेथी: मेथी के पत्ते पेट की जलन दिस्पेप्सिया के उपचार में सहायक सिद्ध होते हैं। 

• सौंफ:सौंफ भी पेट की जलन को ठीक करने में सहायक सिद्ध होती है। यह एक तरह की सौम्य रेचक होती है और शिशुओं और बच्चों की पाचन और एसिडिटी से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए भी मदद करती है। 

• दूध के नियमित सेवन से आप एसीडिटी से निजात पा सकते हैं, इसके साथ ही आपको चाहिए कि आप चौलाई, करेला, धनिया, अनार, केला इत्यादि फलों का सेवन नियमित रूप से करें। 

• शंख भस्म, सूतशेखर रस, कामदुधा रस, धात्री लौह, प्रवाल पिष्टी इत्यादि औषधियों को मिलाकर आपको भोजन के बाद पानी के साथ लेना चाहिए। 

• इसके अलावा आप अश्वगंधा, बबूना , चन्दन, चिरायता, इलायची, अहरड, लहसुन, मेथी, सौंफ इत्यादि के सेवन से भी एसीडिटी की समस्या से निजात पा सकते हैं। 

एसीडिटी दूर करने के अन्य उपाय 

• अधिक मात्रा में पानी पीना 
• पपीता खाएं 
• दही और ककड़ी खाएं 
• गाजर, पत्तागोभी, बथुआ, लौकी इत्यातदि को मिक्सत करके जूस लें। 
• पानी में नींबू और मिश्री मिलाकर दोपहर के खाने से पहले लें। 
• तनावमुक्त रहें और मानसिक रूप से स्वस्थ रहें। 
• नियमित रूप से व्यायाम करें। 
• दोपहर और रात के खाने के बीच सही अंतराल रखें। 
• नियमित रूप से पुदीने के रस का सेवन करें । 
• तुलसी के पत्ते एसिडिटी और मतली से काफी हद तक राहत दिलाते हैं। 
• नारियल पानी का सेवन अधिक करें। 

एसीडिटी के कारण 

• नियमित रूप से चटपटा मसालेदार और जंकफूड का सेवन 
• अधिक एल्‍‍कोहल और नशीले पदार्थों का सेवन 
• लंबे समय तक दवाईयों का सेवन 
• शरीर में गर्मी बढ़-बढ़ जाना 
• बहुत देर रात भोजन करना 
• भोजन के बाद भी कुछ न कुछ खाना या लंबे समय तक भूखे  रहकर एकदम बहुत सारा खाना खाना 

एसीडिटी के लक्षण 

• एसीडिटी के तुरंत बाद पेट में जलन होने लगती है। 
• कड़वी और खट्टी डकारें आना 
• लगातार गैस बनना और सिर दर्द की शिकायत 
• उल्टी होने का अहसास और खाने का बाहर आने का अहसास होना 
• थकान और भारीपन महसूस होना 


साभार : आचार्या बालकृष्ण जी , पतंजलि योगपीठ 

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