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Tuesday, October 23, 2012

देसी खोजों ने भी चुनौती दी है विदेशी खोजों को


टेक्नॉलजी के मामले में बेशक पश्चिम का दबदबा रहा है, लेकिन देसी खोज और इनोवेशन के बल पर हम भी उन्हें कड़ी चुनौती देते रहते हैं। यहां पेश हैं तीन ऐसी देसी खोज, जिनसे न केवल हमारी सहूलियतें बढ़ी हैं, बल्कि इन्होंने तकनीकी ज्ञान के मोर्चे पर भारत का हौसला भी बढ़ाया है:
'गगन' से ऊंची उड़ान
क्या है गगन: यह जीपीएस से लैस जियो ऑग्मेंटेड नेविगेशन सिस्टम है, जो अगले साल जुलाई में आ रहा है। यह एयर ऐक्टिविटी पर ज्यादा बेहतर तरीके से नजर रख पाता है। इस सिस्टम की बदौलत तकनीक के मोर्चे पर भारत यूएस, ईयू और जापान जैसे देशों के एलीट क्लब में शामिल हो गया है।
क्या हैं फायदे: गगन इंडियन एविएशन सेक्टर के लिए क्रांतिकारी साबित हो सकता है क्योंकि यह एयर फ्यूल कॉस्ट में 20 पर्सेंट तक की कमी ला सकता है। यह सिस्टम एयरक्राफ्ट की ऊंचाई का तेजी से पता लगाकर उसे सीधा और आसान रूट बता देता है, जिससे फ्यूल की खपत कम हो जाती है। जाहिर है, जब एयरलाइंस के रेवेन्यू का 50 फीसदी तक हिस्सा फ्यूल कॉस्ट की भेंट चढ़ जाता है, तो यह सिस्टम खास हो ही जाता है। वैसे, इसका इस्तेमाल सर्वे और मैपिंग, खेती, ट्रांसपोर्ट और माइनिंग के क्षेत्र भी किया जा सकेगा।
तो उबर जातीं एयरलाइंस कंपनियां: अगर गगन टेक्नॉलजी पहले आ गई होती तो फ्यूल कॉस्ट में 20 पर्सेंट बचत से 'चमत्कार' हो सकता था। 2011-12 के आंकड़े के आधार पर अगर देखें, तो गगन के इस्तेमाल से जेट एयरवेज अपने 1236 करोड़ रुपये के घाटे को 90 करोड़ रुपये के प्रॉफिट में बदल सकता था। इसी तरह स्पाइस जेट अपने 605 करोड़ रुपये के घाटे में से 439 करोड़ का घाटा पाट सकता था। जबकि अपना लाइसेंस तक खो चुके किंगफिशर एयरलाइंस के 651 करोड़ रुपये में से 589 करोड़ रुपये का घाटा कम हो जाता।
'गूगल अर्थ' को टक्कर देने आया 'भुवन'
क्या है भुवन: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने भुवन नाम से अपना सैटलाइट आधारित 3डी मैपिंग या इमेजरी ऐप्लिकेशन अगस्त, 2009 में लॉन्च किया था। भुवन अपने यूजर्स को गूगल अर्थ की तुलना में ज्यादा नजदीकी सैटलाइट डेटा मुहैया करता है। इसके फीचर्स गूगल से ज्यादा अडवांस्ड हैं। जहां गूगल अर्थ 200 मीटर तक और विकीमैपिया 50 मीटर नजदीक तक के डिटेल ही दिखाता है, वहीं देसी भुवन 10 मीटर नजदीक तक के इमेज दिखाने में सक्षम है। खास बात यह कि भुवन पोर्टल को स्लो इंटरनेट कनेक्शन पर भी काम करने लायक डिजाइन किया गया है।
और भी हैं फायदे: भुवन कई अन्य फीचर्स से भी लैस है, जिसमें मौसम की सूचना और भारत के सभी राज्यों और जिलों की प्रशासनिक सीमा की जानकारी देना शामिल है। हालांकि भुवन पूरे ग्लोब की इमेज मुहैया कराने में सक्षम है, लेकिन अभी इसका रिज़ॉल्यूशन भारत के लिए बेहद उपयोगी है।
अब 'भुवन चंद्र भूमि' भी: भुवन का अगला वर्जन 'भुवन चंद्र भूमि' होगा, जिसमें धरती के अलावा चांद की भी मैपिंग होगी।
वीजा, मास्टर कार्ड से मुकाबला करेगा रूपे
रूपे क्या है: क्रेडिट और डेबिट कार्ड पेमेंट पर एकाधिकार जमाए हुए वीजा और मास्टर कार्ड को हमारे 'रूपे' से कड़ी चुनौती मिलेगी। रूपे अपनी तरह का पहला स्वदेशी पेमेंट गेटवे है, जिसे नैशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) ने तैयार किया है। हालांकि अभी यह डिवेलपमेंट के दूसरे स्टेज में है। अगले साल मार्च तक रूपे इंटरनैशनल डेबिट कार्ड और फिर मार्च, 2015 तक रूपे क्रेडिट कार्ड लॉन्च करने की तैयारी है।
चार बैंक हुए शामिल: अभी दो लाख रूपे एटीएम बाजार में हैं। चार बैंक- यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ इंडिया, एसबीआई और एक्सिस बैंक ने रूपे डेबिट कार्ड नेटवर्क को जॉइन किया है। आईसीआईसीआई और एचडीएफसी बैंक भी जल्द ही रूपे नेटवर्क में शामिल हो जाएंगे।
बैंकों का भी होगा फायदा: रूपे गेटवे का लाभ बैंकों को भी मिलेगा क्योंकि यह उनके लिए किफायती होगा। मसलन, रूपे नेटवर्क पर 1800 रुपये के कस्टमर ट्रांजेक्शन पर बैंक को करीब 1.50 रुपये ही चुकाना पड़ता है जबकि मास्टर और वीजा कार्ड पर उन्हें 2.80 रुपये देने पड़ते हैं। फिर इस नेटवर्क में शामिल होने के लिए बैंकों को किसी तरह की एंट्री फीस भी नहीं देनी पड़ती।
साभार-नवभारत टाईम्स से, http://www.hindimedia.in

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