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Monday, December 26, 2011

क्‍या हिन्दुस्तान में हिन्दू होना गुनाह है? (31)

क्‍या हिन्दुस्तान में हिन्दू होना गुनाह है?


साम्‍प्रदायिक एवं लक्षित हिंसा विधेयक के प्रावधानों पर विस्तृत चर्चा करने के बाद मैं कुछ अन्य बिन्दुओं पर चर्चा करना चाहूंगा।

इस वर्ष हज यात्रा पर भारत सरकार 1250 करोड़ अधिक धन राशि खर्च कर रही है। इसमें सवा लाख यात्रियों में से हर यात्री को दी जाने वाली 83 हजार रुपए की सब्सिडी शामिल है। गत वर्ष सब्सिडी की धनराशि केंद्र ने प्रति हज यात्री 73 हजार रुपए दी थी। इस साल विमान भाड़ा बढ़ जाने के कारण इसमें वृद्धि करनी पड़ी है। इस साल हज का यात्रा भाड़ा एक लाख था जिसमें से हाजियों से प्रति यात्री सिर्फ 16 हजार ही वसूले गए, शेष धनराशि सरकारी कोष से दी गई।

उच्चतम न्यायालय एवं संसदीय समितियां इस सब्सिडी को बंद करने का केंद्र सरकार को एक दर्जन बार निर्देश दे चुकी हैं मगर भारत सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी।
विश्व भर में भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जहां पर हज यात्रा के लिए सब्सिडी दी जाती है।

किसी भी मुस्लिम देश में कोई भी सब्सिडी हाजियों को नहीं दी जाती।
पाकिस्तान हाजियों को सब्सिडी नहीं देता।

क्‍या यह सरकार के सेकुलरवादी स्वरूप के खिलाफ नहीं?

सरकार पाकिस्तान जाने वाले सिख यात्रियों या कटास राज की यात्रा और कैलाश मानसरोवर जाने वाले को एक पैसा भी सब्सिडी क्‍यों नहीं देती? क्‍या यह मुस्लिम तुष्टिकरण और हिन्दू-सिखों के साथ भेदभाव नहीं। भारत का संविधान बिना धार्मिक भेदभाव के सभी नागरिकों को एक समान मानता है, तो फिर यह भेदभाव क्‍या संविधान का उल्लंघन नहीं?

हाजियों को सब्सिडी देने का सिलसिला 1950 से शुरू हुआ। जब सरकार ने मुंबई से जलयानों द्वारा हाजियों को सऊदी अरब ले जाने वाले 'मुगल लाइन्स' नामक शिपिंग कम्‍पनी का राष्ट्रीयकरण किया। तब सब्सिडी की धनराशि सिर्फ चार करोड़ ही थी। अब जलयानों द्वारा हज यात्रा सरकार ने बंद कर दी है मगर विमान यात्रियों को सब्सिडी देने का सिलसिला जारी है।

1990 तक हाजी मुंबई से हज पर जाते थे मगर अब 27 जगहों से विशेष विमान हज यात्रियों को लेकर जाते हैं। भारत सरकार सऊदी अरब में हाजियों के लिए ठहरने के अतिरिक्‍त फ्री चिकित्सा व्यवस्था भी करती है। आजादी से पूर्व निजाम हैदराबाद द्वारा हर वर्ष 5 हजार यात्रियों को सरकारी खर्च पर हज यात्रा के लिए भेजा जाता था। इसके अतिरिक्‍त देश की चौदह मुस्लिम रियासतों ने मक्‍का मदीना में राबात बना रखे थे, जहां पर हाजी मुफ्त ठहर सकते थे। अब यह व्यवस्था केन्द्र ने खत्म कर दी है।

हर वर्ष सरकार सारा खर्चा खुद दे कर 200-250 सरकार के करीबी मुस्लिम नेताओं को गुड-विल-मिशन के रूप में सऊदी अरब भिजवाती है। उच्चतम न्यायालय ने इसे न भेजने का सरकार को निर्देश दिया था, मगर यह सिलसिला अब भी जारी है। इस साल राज्य सभा के उप सभापति के. रहमान खान के नेतृत्व में सद्भावना मिशन भेजा गया था।

हज यात्रा की व्यवस्था करने के लिए केंद्र सरकार के विदेश विभाग की एक विशेष शाखा है जिसका प्रभारी संयुक्‍त सचिव दर्जे का वरिष्ठ अधिकारी होता है। इसके अतिरिक्‍त एक केन्द्रीय हज समिति है जिसका चेयरमैन सत्तारूढ़ दल का कोई नेता बनाया जाता है। इन दिनों इस कमेटी की अध्यक्ष कांग्रेस की महामंत्री मोहसिना किदवई हैं। इसके अतिरिक्‍त प्रत्येक राज्य में एक राज्य स्तर की हज समिति है। हर राज्य में हज मंजिल है जिसमें सऊदी अरब रवाना होने से पूर्व हाजियों एवं उनके परिवारजनों को सरकारी खर्च पर अतिथि के रूप में ठहराया जाता है। क्‍या यह सुविधा किसी हिंदू संप्रदाय से संबंध रखने वाले व्यक्ति को प्राप्त है? (क्रमश:)

Courtsey:अश्‍वनी कुमार, सम्‍पादक (पंजाब केसरी)

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